भारत के पेट्रोलियम निर्यात में गिरावट: FY25 के पहले पांच महीनों में घटा मांग और आपूर्ति में बाधा
भारत के पेट्रोलियम निर्यात में FY25 के पहले पांच महीनों में गिरावट आई है, जो प्रमुख बाजारों से कम मांग और लाल सागर क्षेत्र में आपूर्ति बाधाओं के कारण हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यूरोप में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बढ़ती संख्या ने ईंधन की मांग पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
निर्यात में गिरावट का आंकड़ा
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से अगस्त के बीच भारत के पेट्रोलियम निर्यात का मूल्य 31.84 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 35.30 अरब डॉलर था। अगस्त 2024 में पेट्रोलियम निर्यात में सबसे तेज मासिक गिरावट आई, जिसमें निर्यात का मूल्य 5.96 अरब डॉलर रहा, जो अगस्त 2023 की तुलना में 37.56% की कमी दर्शाता है।
व्यापार घाटा बढ़ा
पेट्रोलियम निर्यात में तेज गिरावट और सोने के आयात में वृद्धि के चलते भारत का वस्त्र व्यापार घाटा अगस्त में 10 महीने के उच्चतम स्तर 29.65 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
निर्यात में गिरावट के कारण
हालांकि, अप्रैल और मई में पेट्रोलियम निर्यात में वृद्धि हुई थी, लेकिन उसके बाद हर महीने गिरावट आई। जून और जुलाई में निर्यात में क्रमशः 18.3% और 22.5% की वार्षिक गिरावट दर्ज की गई।
लाल सागर संकट का प्रभाव
अजय श्रीवास्तव, पूर्व व्यापार सेवा अधिकारी और आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक, ने कहा, “पिछले तीन महीनों (जून-अगस्त 2024) में भारत के पेट्रोलियम निर्यात में गिरावट का मुख्य कारण लाल सागर का संकट था, जिसने इन निर्यातों की लागत और समय को बढ़ा दिया।”
मांग में कमी
भारत के प्रमुख बाजारों जैसे यूरोप में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में कमी ने भी निर्यात में गिरावट में योगदान दिया है।
भविष्य की संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है। प्रशांत वसिष्ठ, आईक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और कॉर्पोरेट रेटिंग्स के सह-समूह प्रमुख ने कहा, “वैश्विक स्तर पर कुछ रिफाइनरी क्षमताएं आई हैं, इसलिए आपूर्ति मांग से अधिक प्रतीत होती है। इसके अलावा, ईवी की संख्या में वृद्धि ने ईंधन की मांग को प्रभावित किया है।”