इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में ओला की स्थिति कमजोर? भारतीय इलेक्ट्रिक स्कूटर बाजार में कभी मजबूत पकड़ रखने वाली ओला इलेक्ट्रिक अब कमजोर होती नजर आ रही है। सितंबर में कंपनी ने इस साल की सबसे कम मासिक बिक्री दर्ज की, जो अब तक का सबसे खराब आंकड़ा है। ओला ने इस महीने सिर्फ 23,965 यूनिट बेच पाई, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि बाजार में उसकी पकड़ ढीली पड़ रही है। आइए जानते हैं इसके पीछे क्या कारण हैं।

सितंबर में ओला की बाजार हिस्सेदारी में गिरावट

साल की शुरुआत में, ओला ने इलेक्ट्रिक स्कूटर बाजार में 50% से अधिक हिस्सेदारी बना रखी थी, लेकिन सितंबर तक यह घटकर 27% पर आ गई। इस गिरावट की मुख्य वजहों में कंपनी की बिक्री में लगातार आ रही कमी और प्रतिद्वंद्वी कंपनियों का तेजी से उभरना है।

ओला की बाजार हिस्सेदारी में लगातार 5 महीने से गिरावट देखी जा रही है। इस दौरान टीवीएस मोटर और बजाज ऑटो जैसी कंपनियों ने अपनी बाजार हिस्सेदारी में तेजी से इजाफा किया, जो ओला के लिए चुनौती बनती जा रही हैं।

सर्विसिंग नेटवर्क में कमज़ोरी

विशेषज्ञों का मानना है कि ओला की बाजार हिस्सेदारी में गिरावट का एक बड़ा कारण उसका सर्विस नेटवर्क है। ओला के मुकाबले अन्य कंपनियों का सर्विस नेटवर्क अधिक मजबूत है, जिससे ग्राहक इनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, बजाज ने अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर चेतक के लिए डीलरशिप की संख्या में बड़ा इजाफा किया है, जहां यह संख्या पिछले साल 100 से बढ़कर 500 हो गई है। इसके विपरीत, ओला की डीलरशिप में मामूली बढ़त हुई है, जो 750 से बढ़कर 800 तक पहुंची है।

कर्नाटक में ओला शोरूम में आगजनी की घटना

सितंबर में ओला के सामने एक और बड़ा संकट खड़ा हुआ, जब कर्नाटक के एक शोरूम में एक शख्स ने असंतोषजनक सर्विसिंग के कारण आग लगा दी। इस घटना ने ओला के सर्विस नेटवर्क और ग्राहक संतुष्टि पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं

ओला को अपनी गिरती बाजार हिस्सेदारी को बनाए रखने के लिए अपने सर्विस नेटवर्क को मजबूत करना होगा। इसके साथ ही, ग्राहकों की संतुष्टि को बढ़ाने के लिए कंपनी को नई रणनीतियों पर काम करना होगा।

ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर के लिए आगे का रास्ता

यदि ओला को अपने ई-स्कूटर बाजार में शीर्ष स्थान पर बने रहना है, तो उसे सर्विस नेटवर्क, ग्राहक अनुभव, और बिक्री रणनीतियों को सुधारने की आवश्यकता होगी। इसके बिना, प्रतिद्वंद्वी कंपनियों से मुकाबला करना मुश्किल हो सकता है।

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