सुप्रीम कोर्ट: तिरुपति के लड्डू में धर्म और राजनीति की मिलावट? जानें सिब्बल और रोहतगी की दलीलें
तिरुपति लड्डू मामला: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति में प्रसाद के लड्डुओं में पशु चर्बी के कथित इस्तेमाल के मामले में बड़ा कदम उठाते हुए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। अब आंध्र प्रदेश सरकार की SIT इस मामले की जांच नहीं करेगी।
मामले का संक्षिप्त विवरण
दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति प्रसादम लड्डुओं में मिलावट को लेकर सुनवाई की। इस दौरान आंध्र प्रदेश सरकार के वकील मुकुल रोहतगी और याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल के बीच तीखी दलीलें हुईं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि करोड़ों भक्तों की आस्था को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की दलीलें और प्रतिक्रियाएं
- जस्टिस जे गवई: “हमने पढ़ा है कि यदि जांच कराई जाए तो माननीय मुख्यमंत्री को कोई आपत्ति नहीं है।”
- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता: “अगर इस आरोप में कोई सच्चाई है तो यह अस्वीकार्य है। भक्त पूरे देश में हैं। खाद्य सुरक्षा का मामला भी महत्वपूर्ण है।”
- कपिल सिब्बल (याचिकाकर्ता के वकील): “एक स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है।”
- मुकुल रोहतगी (आंध्र प्रदेश सरकार के वकील): “सीएम के बयान का संदर्भ समझा जाना चाहिए।”
जांच की दिशा
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए एक स्वतंत्र SIT का गठन किया जाएगा, जिसमें सीबीआई, राज्य पुलिस और FSSAI के अधिकारी शामिल होंगे। कोर्ट ने कहा, “अगर जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों में दम है, तो यह एक गंभीर मुद्दा है।”
क्या हैं अगले कदम?
सुप्रीम कोर्ट ने एक नई SIT का गठन किया है जो सीबीआई निदेशक की निगरानी में काम करेगी। इसमें 2 सीबीआई अधिकारी, 2 राज्य सरकार के अधिकारी और 1 एफएसएसएआई अधिकारी शामिल होंगे।
निष्कर्ष
यह मामला केवल लड्डुओं में मिलावट का नहीं, बल्कि करोड़ों भक्तों की आस्था का है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राजनीतिक ड्रामा के बिना निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
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