हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024: वोट प्रतिशत और नतीजों की पूरी जानकारी
हरियाणा में बीजेपी ने बनाया नया इतिहास, जम्मू-कश्मीर में एनसी-कांग्रेस गठबंधन ने किया उलटफेर
2024 के विधानसभा चुनाव नतीजों ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक परिदृश्य को स्पष्ट कर दिया है। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया, जबकि जम्मू-कश्मीर में एनसी-कांग्रेस गठबंधन ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी। आइए, दोनों राज्यों में राजनीतिक हालात का विश्लेषण करते हैं।
हरियाणा में बीजेपी का विजय परचम
हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 39.94% वोट हासिल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी की। कांग्रेस ने भी अच्छा प्रदर्शन करते हुए 39.09% वोट प्राप्त किए, लेकिन वह सरकार बनाने में सफल नहीं हो सकी।
हरियाणा में वोट प्रतिशत का विश्लेषण
पार्टी | वोट प्रतिशत |
---|---|
बीजेपी | 39.94% |
कांग्रेस | 39.09% |
बीएसपी | 1.82% |
आईएनएलडी | 4.14% |
जेजेपी | 0.90% |
आम आदमी पार्टी | 1.79% |
क्षेत्रीय स्थिति
हरियाणा में विभिन्न क्षेत्रों में पार्टियों की पकड़ का आकलन:
- कुरुक्षेत्र क्षेत्र (27 सीटें)
- बीजेपी: 15
- कांग्रेस: 12
- अहीरवाल क्षेत्र (28 सीटें)
- बीजेपी: 21
- कांग्रेस: 07
- बागड़ क्षेत्र (18 सीटें)
- बीजेपी: 06
- कांग्रेस: 09
- अन्य: 03
- जाट बहुल क्षेत्र (17 सीटें)
- बीजेपी: 07
- कांग्रेस: 08
- अन्य: 02
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी का प्रदर्शन
जम्मू-कश्मीर में, जबकि बीजेपी ने 27 सीटों पर जीत हासिल की, उसके वोट प्रतिशत में वृद्धि हुई है। यहाँ पार्टी का वोट प्रतिशत 25.64% रहा, जो नैशनल कॉन्फ्रेंस से अधिक है।
जम्मू-कश्मीर में वोट प्रतिशत का विश्लेषण
पार्टी | वोट प्रतिशत |
---|---|
नैशनल कॉन्फ्रेंस | 23.43% |
कांग्रेस | 11.97% |
बीजेपी | 25.64% |
पीडीपी | 8.87% |
आम आदमी पार्टी | 0.52% |
बीएसपी | 0.96% |
जदयू | 0.13% |
जम्मू-कश्मीर में सीटों का बंटवारा
पार्टी | सीटें |
---|---|
बीजेपी | 27 |
नैशनल कॉन्फ्रेंस | 42 |
कांग्रेस | 06 |
पीडीपी | 03 |
जेपीसी | 01 |
सीपीआई एम | 01 |
आम आदमी पार्टी | 01 |
निर्दलीय | 07 |
नतीजा: क्या है आगे की राह?
हरियाणा में बीजेपी की जीत ने स्पष्ट किया है कि उसकी पकड़ मजबूत है, जबकि जम्मू-कश्मीर में एनसी और कांग्रेस का गठबंधन बीजेपी के लिए चुनौती पेश कर रहा है। आने वाले समय में इन चुनावों के परिणामों का प्रभाव निश्चित रूप से दोनों राज्यों की राजनीतिक स्थिति पर पड़ेगा।