कनाडाई सरकार ने पीएम मोदी और एस जयशंकर को आपराधिक गतिविधियों से जोड़ने के दावे को किया खारिज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को कनाडा में आपराधिक गतिविधियों से जोड़ने वाले आरोपों पर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने स्पष्ट रूप से इनकार किया है।
कनाडाई सरकार का स्पष्टीकरण
कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार नथाली जी ड्रौइन ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा,
“कनाडा सरकार ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है और न ही उसके पास इस बात का कोई सबूत है कि प्रधानमंत्री मोदी, मंत्री जयशंकर, या एनएसए डोभाल का कनाडा में गंभीर आपराधिक गतिविधियों से कोई संबंध है।”
उन्होंने आगे कहा कि,
“इसके विपरीत कोई भी सुझाव केवल अटकलें हैं और पूरी तरह गलत हैं।”
आरसीएमपी की कार्रवाई
कनाडाई सरकार ने 14 अक्टूबर को “जन सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और जारी खतरे” के कारण रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) ने भारत सरकार के एजेंटों द्वारा कथित गंभीर आपराधिक गतिविधियों के आरोपों को सार्वजनिक करने का असाधारण कदम उठाया।
भारत का कड़ा जवाब
भारत ने 20 नवंबर को इस मुद्दे पर कनाडा स्थित ग्लोब एंड मेल अखबार की एक रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया।
भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने इसे “तिरस्कार के योग्य” बताते हुए कहा कि इस तरह के आरोप न केवल निराधार हैं, बल्कि पहले से तनावपूर्ण भारत-कनाडा संबंधों को और खराब कर सकते हैं।
MEA ने कहा,
“हम आमतौर पर मीडिया रिपोर्टों पर टिप्पणी नहीं करते। हालांकि, कनाडाई सरकार के स्रोत से कथित तौर पर किए गए इस तरह के हास्यास्पद दावों को पूरी तरह खारिज किया जाना चाहिए।”
भारत-कनाडा संबंधों पर असर
- वर्तमान स्थिति: भारत और कनाडा के रिश्ते पहले से ही खालिस्तानी मुद्दे और अन्य विवादों के कारण तनावपूर्ण हैं।
- भविष्य पर प्रभाव: इस तरह की “स्मियर कैंपेन” से दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग में और कमी आ सकती है।
निष्कर्ष
कनाडा सरकार द्वारा इन आरोपों को खारिज करना इस बात का प्रमाण है कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक संवाद और तथ्यात्मक जांच जरूरी है। हालांकि, इस तरह की विवादित रिपोर्टें दोनों देशों के संबंधों को और नुकसान पहुंचा सकती हैं। भविष्य में, पारस्परिक सम्मान और सहयोग से ही इस तरह के विवादों से बचा जा सकता है।