संसद शीतकालीन सत्र का पांचवां दिन: हंगामे और विरोध के बीच कामकाज प्रभावित
नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र का पांचवां दिन यानी 29 नवंबर 2024 को एक बार फिर हंगामे और विरोध के कारण सदनों के कामकाज में विघ्न आया। लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों में विपक्षी दलों के हंगामे के चलते कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इस दिन का प्रमुख एजेंडा स्वास्थ्य और बांग्लादेश में चल रही हिंसा पर चर्चा करना था, लेकिन विपक्ष की नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन के कारण इन मुद्दों पर कोई व्यापक चर्चा नहीं हो पाई।
सत्र की शुरुआत और हंगामा
संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू हुआ था, और पहले ही दिन से यह सत्र हंगामों से भरा रहा। जैसे ही इस दिन संसद की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी दलों ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की मांग की, जिनमें उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मस्जिद सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा, बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा, और स्वास्थ्य से संबंधित मामलों पर बात शामिल थी।
स्वास्थ्य के मुद्दों पर सवाल
इस दिन लोकसभा और राज्यसभा में स्वास्थ्य से जुड़ी कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सवाल रखने का निर्णय लिया गया था। इनमें प्रमुख रूप से:
- तीन AIIMS अस्पतालों और NIMHANS में सदस्य चयन: ये प्रमुख संस्थान हैं जहां स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर प्रबंधन और अनुसंधान किया जाता है। इन अस्पतालों में सदस्य चुनाव और नियुक्ति की प्रक्रिया पर चर्चा होने वाली थी।
- अंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (AWWs) और सहायकों (AWHs) की भूमिका: सरकार के स्वास्थ्य योजनाओं में इन कार्यकर्ताओं की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे, खासकर उनकी कार्यप्रणाली और उनके प्रशिक्षण से संबंधित मुद्दों पर।
- सिकल सेल एनीमिया: यह एक ऐसी बीमारी है जिसका प्रभाव विशेष रूप से आदिवासी समुदायों पर अधिक देखा जाता है। इसके उपचार और निवारण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा की जानी थी।
इन सवालों पर चर्चा का उद्देश्य देश में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार और स्वास्थ्य कर्मियों की बेहतर स्थिति सुनिश्चित करना था।
बांग्लादेश में हिंसा पर चर्चा
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा पर भी इस दिन संसद में चर्चा होने वाली थी। यह मुद्दा इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि बांग्लादेश में कई मंदिरों और हिंदू धार्मिक स्थलों पर हमले हो रहे हैं, और इस मुद्दे पर भारतीय सांसदों का ध्यान खींचना आवश्यक था।
विपक्षी दलों ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा और धार्मिक उत्पीड़न की आलोचना की, और सरकार से इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की मांग की। हालांकि, हंगामे के कारण इस मुद्दे पर कोई विस्तृत चर्चा नहीं हो पाई।
प्रियंका गांधी वाड्रा और रविंद्र चौहान का शपथ ग्रहण
इस दिन संसद में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना भी हुई, जब वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और नांदेड़ के सांसद रविंद्र चौहान ने शपथ ली। प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस पार्टी की ओर से वायनाड से सांसद चुनी गई हैं, जबकि रविंद्र चौहान ने महाराष्ट्र से सांसद के रूप में शपथ ली।
शपथ ग्रहण के बाद संसद में विपक्ष ने कई मुद्दों पर नारेबाजी की, और उनके द्वारा उठाए गए सवालों पर चर्चा की मांग की गई।
विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी
लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने जोरदार विरोध किया, जिसके चलते सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनटों बाद स्थगित करनी पड़ी। लोकसभा को 12 बजे तक के लिए स्थगित किया गया, जबकि राज्यसभा को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
विपक्षी सांसदों ने विभिन्न मुद्दों पर नारेबाजी की, जिसमें उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मस्जिद सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा और बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा प्रमुख थे। इसके अलावा, विपक्ष ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि सरकार स्वास्थ्य के मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है और उन पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही।
शीतकालीन सत्र में हो रहे व्यवधान
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही हफ्ते में कई दिन हंगामे और विरोध के कारण स्थगित हुए हैं। इस स्थिति में महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई गंभीर चर्चा नहीं हो पाई है। यह सत्र 25 नवंबर को शुरू हुआ था और उम्मीद की जा रही थी कि इसमें कई महत्वपूर्ण विधेयकों और मुद्दों पर चर्चा होगी, लेकिन लगातार हो रहे हंगामों के कारण कामकाज में बाधा उत्पन्न हो रही है।
क्या है भविष्य का परिदृश्य?
यदि हंगामे और विरोध का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा, तो संसद के शीतकालीन सत्र में प्रभावी चर्चा और निर्णय की संभावना कम हो सकती है। ऐसे में कई महत्वपूर्ण मुद्दे और विधेयक लंबित रह सकते हैं। सरकार को इस स्थिति को सुधारने और विपक्ष से संवाद स्थापित करने की जरूरत है, ताकि संसद का कामकाज प्रभावी तरीके से चल सके।
निष्कर्ष
संसद के शीतकालीन सत्र का पांचवां दिन हंगामे और विरोध के कारण काफी विवादास्पद रहा। स्वास्थ्य, बांग्लादेश में हिंसा और अन्य कई मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद थी, लेकिन विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी के कारण सदनों की कार्यवाही स्थगित हो गई। अब यह देखना होगा कि अगले दिनों में संसद का माहौल शांत होता है या फिर इसी तरह का व्यवधान जारी रहता है।