RSS की जनसंख्या असंतुलन पर बढ़ती चिंता
पिछले एक दशक से RSS हिंदू जनसंख्या की घटती दर और मुस्लिम जनसंख्या की बढ़ती दर पर चिंता जता रहा है। जबकि दोनों समुदायों के बीच जन्म दर में गिरावट आई है, फिर भी मुस्लिमों की जन्म दर हिंदुओं के मुकाबले ज्यादा है। यह गिरावट RSS के लिए एक चिंता का विषय बन गई है, जो देश की जनसंख्या संरचना में बदलाव का संकेत देती है।
RSS ने 2015 में एक बैठक के दौरान एक समान जनसंख्या नीति की मांग की थी, और हाल ही में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदुओं से कम से कम तीन बच्चे पैदा करने की अपील की। उनका यह बयान संघ के भीतर बढ़ती चिंता को दर्शाता है कि यदि यह स्थिति बनी रही तो यह हिंदू समाज के अस्तित्व को खतरे में डाल सकता है।
RSS की मांग: एक समग्र जनसंख्या नीति
RSS की चिंता नई नहीं है। 2015 के एक प्रस्ताव में संघ ने भारत के जनसंख्या वृद्धि दर में धार्मिक असंतुलन की समस्या को उठाया था। विशेष रूप से सीमावर्ती राज्यों जैसे असम, पश्चिम बंगाल और बिहार में मुस्लिम जनसंख्या का वृद्धि दर उच्च स्तर पर पहुंचने की चिंता जताई गई थी। संघ का मानना था कि यह असंतुलन देश की एकता और सांस्कृतिक पहचान के लिए खतरा बन सकता है।
संघ ने शुरुआत में एक समग्र जनसंख्या नीति की मांग की थी, जो सभी समुदायों में जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए हो। लेकिन अब वह स्थिति बदल चुकी है। RSS ने अब हिंदुओं से अपने स्तर पर तीन बच्चे पैदा करने की अपील की है ताकि जनसंख्या संतुलन बना रहे।
RSS की रणनीति में बदलाव: नीति से सामुदायिक कार्रवाई की ओर
मोहन भागवत के हालिया बयान से यह साफ हो गया कि RSS अब सरकार से अधिक समुदाय स्तर पर बदलाव की अपील कर रहा है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को अपनी प्राथमिकताओं को फिर से निर्धारित करने की आवश्यकता है। उनका मानना है कि अगर हिंदू समाज ने जनसंख्या वृद्धि पर ध्यान नहीं दिया, तो यह उनके सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान के लिए संकट उत्पन्न कर सकता है।
RSS की चिंता क्यों है महत्वपूर्ण?
RSS का मानना है कि यदि जनसंख्या असंतुलन पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो इसका प्रभाव न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर पड़ेगा, बल्कि यह देश के शासन, राजनीति और संसाधनों पर भी असर डाल सकता है। उनका यह कहना है कि बढ़ती मुस्लिम जनसंख्या देश के संसाधनों पर भारी पड़ सकती है और इससे सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।
निष्कर्ष:
RSS का यह आग्रह कि हिंदू तीन बच्चे पैदा करें, उनके विचारों का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। यह केवल एक जनसंख्या नीति से संबंधित नहीं है, बल्कि यह भारत के भविष्य के सांस्कृतिक और सामाजिक संतुलन को लेकर एक गहरी चिंता का परिणाम है। हालांकि, यह अपील कई आलोचकों द्वारा विवादास्पद मानी जाती है, लेकिन संघ के दृष्टिकोण को समझना महत्वपूर्ण है, जो इसे न केवल राजनीतिक बल्कि सांस्कृतिक आवश्यकता मानता है।