ऑस्कर 2025: ‘लापता लेडीज़’ ऑस्कर की दौड़ से बाहर, सोशल मीडिया पर FFI की आलोचना तेज़
एकेडमी ऑफ़ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स एंड साइंसेज़ ने 2025 ऑस्कर के बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म अवॉर्ड के लिए 15 फ़िल्मों की शॉर्टलिस्ट जारी कर दी है। हालाँकि, भारत की आधिकारिक एंट्री ‘लापता लेडीज़’ इस लिस्ट में जगह बनाने में नाकाम रही। इस खबर ने भारतीय सिनेप्रेमियों को निराश कर दिया है और सोशल मीडिया पर फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (FFI) के खिलाफ गुस्से का माहौल है।
जहाँ अंतरराष्ट्रीय एंट्रीज़ जैसे एमिलिया पेरेज़ और फ्रॉम ग्राउंड ज़ीरो को शॉर्टलिस्ट में जगह मिली है, वहीं भारत की एंट्री का न होना फिर से सवाल खड़े कर रहा है। कई लोगों का मानना है कि पायल कापड़िया की कांस अवॉर्ड विजेता फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट’ (AWIAL) को चुना जाता तो भारत के पास बेहतर मौका होता।
सोशल मीडिया का गुस्सा: “सिनेमा जानने वालों को FFI संभालना चाहिए”
‘लापता लेडीज़’ के ऑस्कर शॉर्टलिस्ट से बाहर होने की खबर पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। सिनेप्रेमी लगातार FFI पर सवाल उठा रहे हैं और इसके चयन प्रक्रिया में बदलाव की माँग कर रहे हैं।
एक यूज़र ने लिखा, “FFI ने AWIAL को नजरअंदाज कर हमारी संभावनाएँ खत्म कर दीं। अब वक्त आ गया है कि FFI का पूरी तरह से पुनर्गठन हो। जो लोग सिनेमा की समझ रखते हैं, उन्हें इस प्रक्रिया का हिस्सा बनाना चाहिए।”
एक अन्य यूज़र ने तंज कसते हुए लिखा, “सोचिए क्या ‘लापता’ हुआ है? ऑस्कर शॉर्टलिस्ट में ‘लापता लेडीज़’ का नाम! FFI को सीखना चाहिए कि ऑस्कर कैंपेन अक्टूबर में शुरू नहीं किया जा सकता। ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट सीधे ऑस्कर तक पहुँच सकती थी, लेकिन आपने वह मौका गंवा दिया।”
FFI की विवादास्पद चयन प्रक्रिया
भारत के ऑस्कर एंट्री की ज़िम्मेदारी फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (FFI) के पास होती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में इसके फैसले विवादों से घिरे रहे हैं। हर बार चयन प्रक्रिया में रणनीतिक चूक की वजह से भारत का प्रतिनिधित्व कमजोर पड़ता दिखा है।
एक सिनेप्रेमी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “FFI ने एक बार फिर भारत को निराश किया। देश के सिनेमा प्रेमियों को इस पर विरोध दर्ज कराना चाहिए।”
एक अन्य ने लिखा, “यह भारत के लिए एक और बड़ी हार है। अगर FFI का मकसद प्रतिस्पर्धा में बेहतर प्रदर्शन करना है, तो वे पूरी तरह से असफल रहे हैं। अब FFI को सुधार की सख्त जरूरत है, और इसके मौजूदा सदस्यों को हटाकर सिनेमा के जानकारों को ज़िम्मेदारी सौंपनी चाहिए।”
‘लापता लेडीज़’ बनाम ‘ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट’
किरण राव द्वारा निर्देशित ‘लापता लेडीज़’ 1990 के ग्रामीण भारत पर आधारित एक कॉमेडी-ड्रामा है। यह कहानी दो दुल्हनों की है, जिन्हें शादी के दौरान गलती से आपस में बदल दिया जाता है। फिल्म में स्पर्श श्रीवास्तव, प्रतिभा रांटा और नितांशी गोयल जैसे नए कलाकारों के साथ रवि किशन और छाया कदम जैसे अनुभवी कलाकार भी शामिल हैं। फिल्म को अपनी सामाजिक व्यंग्यात्मक शैली के लिए सराहा गया, लेकिन इसकी अंतरराष्ट्रीय अपील पर सवाल उठे।
दूसरी ओर, पायल कापड़िया की ‘ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट’ मुंबई के श्रमिक वर्ग की जिंदगी को संवेदनशील तरीके से दिखाने वाली एक मार्मिक फिल्म है। कानी कुश्रुति, दिव्या प्रभा और ह्रिधु हारून जैसे कलाकारों की मुख्य भूमिकाओं वाली यह फिल्म कांस फिल्म फेस्टिवल में ग्रैंड प्राइज़ जीत चुकी है और गोल्डन ग्लोब्स व क्रिटिक्स चॉइस अवॉर्ड्स में नामांकित हो चुकी है। इसके बावजूद इसे FFI द्वारा नज़रअंदाज करना कई लोगों के लिए निराशाजनक रहा।
भारतीय सिनेमा के लिए एक किरण आशा की
हालांकि लापता लेडीज़ के बाहर होने से निराशा हुई है, भारतीय सिनेमा के लिए एक खुशखबरी भी है। ब्रिटेन की ओर से आधिकारिक एंट्री के रूप में चुनी गई हिंदी फिल्म ‘संतोष’, जिसे संध्या सूरी ने निर्देशित किया है और जिसमें शहाना गोस्वामी व सुनीता राजवार जैसे कलाकार शामिल हैं, ऑस्कर की शॉर्टलिस्ट में अपनी जगह बनाने में कामयाब रही है।
निष्कर्ष: बदलाव की माँग
भारत की ऑस्कर एंट्रीज़ के बार-बार असफल होने से यह सवाल उठता है कि FFI की चयन प्रक्रिया में क्या खामियाँ हैं। सिनेप्रेमियों की आवाज़ अब बुलंद हो चुकी है, और सुधार की माँग जोर पकड़ रही है। क्या FFI समय की जरूरत को समझते हुए अपनी प्रक्रिया में बदलाव करेगा, या फिर भारतीय सिनेमा की अनदेखी का सिलसिला यूँ ही जारी रहेगा?