ग़ज़ा-इसराइल युद्धविराम के बाद विस्थापित फ़लस्तीनी: घर लौटते हुए क्या देखा?

27 जनवरी 2025, ग़ज़ा-इसराइल संघर्षविराम के बाद, ग़ज़ा के लोग अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं। सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक, युद्धविराम के बाद जैसे ही नेट्ज़रिम कॉरिडोर खोला गया, दो घंटे के भीतर दो लाख विस्थापित लोग उत्तरी ग़ज़ा में दाखिल हो गए। यह दृश्य उम्मीद और निराशा का मिश्रण था। लोग घर लौटने के लिए खुश थे, लेकिन जब उन्होंने अपनी बर्बादी देखी, तो उनकी खुशी में मायूसी भी समाहित थी।

विस्थापितों का दर्द और सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ग़ज़ा शहर और उत्तरी इलाकों में लौटने वाले इन लोगों के लिए 135,000 टेंट की आवश्यकता होगी। यह युद्ध के कारण हुए विनाश की साक्षी है। जो लोग घर लौटने के लिए उत्साहित थे, वे जल्द ही अपनी ज़िंदगी की जटिलताओं का सामना करने के लिए तैयार हो गए।

हमास और नेतन्याहू का बयान

हमास ने ग़ज़ा के विस्थापितों की वापसी को अपनी “जीत” के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने इसे इसराइली कब्ज़े और विस्थापन की योजना की असफलता के रूप में देखा। वहीं, इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने बताया कि युद्धविराम समझौते के तहत हमास ने इसराइली नागरिकों को रिहा करने की सहमति दी थी, जिसके बदले उत्तरी ग़ज़ा में लोगों को घर लौटने की अनुमति दी गई।

फिर से बर्बादी का सामना: ग़ज़ा में तबाही की सच्चाई

बीबीसी संवाददाता के अनुसार, घर लौटते लोग ग़ज़ा में बर्बादी का मंजर देख कर दुखी हो गए। कुछ इलाके तो जैसे शक्तिशाली भूकंप से तबाह हो गए हों। यह एक ऐसा क्षण था, जिसका इंतजार लोग एक साल से कर रहे थे, लेकिन बर्बादी ने उनकी खुशियों को धुंधला कर दिया।

उत्तरी ग़ज़ा में सबसे ज्यादा तबाही

सैटेलाइट तस्वीरों के मुताबिक, ग़ज़ा में सबसे ज्यादा नुकसान उत्तरी ग़ज़ा में हुआ है। यहां की दो तिहाई इमारतें पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं। इसराइल और हमास के बीच हुए संघर्ष ने ग़ज़ा को एक ऐसा स्थान बना दिया है, जहां जीवन अब मुश्किल हो गया है।

ग़ज़ा के बाहर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: ट्रंप और जर्मनी के बयान

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग़ज़ा को “डिमोलिशन साइट” बताया और अन्य देशों से अपील की कि वे विस्थापित फ़लस्तीनी लोगों को शरण दें। हालांकि, जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। जर्मनी का कहना था कि ग़ज़ा से फ़लस्तीनी लोगों को विस्थापित करना और ग़ज़ा पर स्थायी इसराइली कब्ज़ा स्वीकार्य नहीं है।

आगे का रास्ता और युद्धविराम के प्रभाव

अब जबकि युद्धविराम लागू है, ग़ज़ा में शांति की उम्मीदें बनी हुई हैं। हालांकि, वहां की जमीनी सच्चाई बहुत कठोर है। लोग अपने घरों में लौटने के लिए उत्साहित हैं, लेकिन वे जानते हैं कि यहां उनके सामने संघर्ष और पुनर्निर्माण की लंबी यात्रा है।

क्या युद्धविराम से ग़ज़ा में शांति आ सकती है?

यह समय है जब हमें सोचना चाहिए कि युद्धविराम के बावजूद ग़ज़ा में शांति कैसे स्थापित की जा सकती है। क्या यह एक स्थायी समाधान है या केवल एक अस्थायी राहत? आपके विचारों का स्वागत है!

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