झारखंड में बीजेपी का चुनावी दांव: आदिवासी, युवा और महिला वोटर्स पर फोकस
झारखंड में विधानसभा चुनावों के लिए तैयारियां तेज हो गई हैं। इस बार बीजेपी ने 81 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान किया है, जहां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने खुद पार्टी के चुनावी एजेंडे को सेट करने की जिम्मेदारी ली है। झारखंड में भाजपा का मुख्य संकल्प “माटी, रोटी और बेटी” है, लेकिन इसमें आदिवासी समुदाय को साधने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
आदिवासी समुदाय पर विशेष ध्यान
अमित शाह ने झारखंड में आदिवासी समुदाय के लिए कई बड़े वादे किए हैं। उन्होंने घोषणा की कि यदि बीजेपी सत्ता में आती है तो समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू किया जाएगा, लेकिन आदिवासी समुदाय को इससे बाहर रखा जाएगा। इसके अलावा, अवैध खनन पर रोक और कल्याणकारी योजनाओं का भी वादा किया गया है, जिसमें किडनी मरीजों के लिए फ्री डायलिसिस और युवाओं को रोजगार देने की योजनाएं शामिल हैं।
घुसपैठ और स्थानीय मुद्दे
अमित शाह ने झारखंड के आदिवासी बेल्ट में अवैध घुसपैठ का मुद्दा उठाया है, जहां बीजेपी ने बांग्लादेशियों की घुसपैठ को रोकने का संकल्प लिया है। शाह ने आदिवासी समुदाय की जमीनों को घुसपैठियों से वापस लेने के लिए सख्त कानून बनाने का भी वादा किया है, ताकि आदिवासी समुदाय अपने अधिकारों की रक्षा कर सके।
युवा और महिला वोटर्स को लुभाने की रणनीति
बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में युवाओं को रोजगार के बड़े वादे किए हैं। अमित शाह ने 2.87 लाख युवाओं को नौकरी देने की बात की है और हर स्नातक को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया है। इसके साथ ही, महिलाओं के लिए 2100 रुपये की मासिक पेंशन और लक्ष्मी जोहार योजना के तहत 500 रुपये में एलपीजी गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने का भी ऐलान किया गया है।
चुनावी रणनीति में नया मोड़
बीजेपी की इस चुनावी रणनीति का मुख्य उद्देश्य आदिवासी वोटों को अपनी ओर खींचना है, लेकिन साथ ही महिला और युवा वोटर्स का भरोसा भी जीतना है। अमित शाह ने आदिवासी समाज से जुड़े नेताओं को अपनी टीम में शामिल किया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि बीजेपी झारखंड में अपना प्रभाव बढ़ा सके।
निष्कर्ष
झारखंड विधानसभा चुनावों में बीजेपी की यह नई रणनीति आदिवासी, युवा और महिला वोटर्स को ध्यान में रखकर बनाई गई है। अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी झारखंड में अपने चुनावी अभियान को सफल बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है। अब देखना होगा कि क्या यह रणनीति उन्हें सत्ता में वापसी दिला सकेगी या नहीं।