जस्टिस संजीव खन्ना ने 51वें भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली, DY चंद्रचूड़ की जगह लेंगे

परिचय
भारत के न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण में, जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार को 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। यह समारोह राष्ट्रपति भवन में हुआ, और इसके साथ ही उन्होंने जस्टिस DY चंद्रचूड़ की जगह ली, जिनका कार्यकाल समाप्त हो गया। इस नियुक्ति के साथ ही भारतीय न्यायपालिका के भविष्य में नई दिशा की उम्मीदें जगी हैं।

महत्वपूर्ण फैसलों का ऐतिहासिक योगदान
जस्टिस संजीव खन्ना न्यायपालिका में कई महत्वपूर्ण निर्णयों का हिस्सा रहे हैं, जिनसे भारत के कानूनी और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में गहरी छाप पड़ी है। उनके कुछ प्रमुख फैसले इस प्रकार हैं:

  • इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को निरस्त करना: जस्टिस खन्ना उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने विवादास्पद इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को चुनौती दी और अंततः निरस्त कर दिया।
  • धारा 370 का निरसन: उन्होंने जम्मू और कश्मीर से विशेष दर्जा हटाने के सरकार के निर्णय का समर्थन किया।
  • इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVMs): उनके नेतृत्व में बेंच ने चुनावों में EVMs के प्रयोग को सही ठहराया और चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित की।
  • अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत: जस्टिस खन्ना की बेंच ने पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक्साइज पॉलिसी घोटाले में लोकसभा चुनावों के लिए अंतरिम जमानत दी।

ये निर्णय जस्टिस खन्ना की न्याय के प्रति प्रतिबद्धता और समसामयिक मुद्दों को संतुलित तरीके से सुलझाने के उनके दृष्टिकोण को प्रदर्शित करते हैं।

छह महीने का कार्यकाल और अनुभव से भरी यात्रा
64 वर्ष की आयु में, जस्टिस संजीव खन्ना भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में छह महीने का कार्यकाल निभाएंगे, जो 13 मई, 2025 को समाप्त होगा। इस संक्षिप्त कार्यकाल में भी उनके अनुभव और न्यायपालिका के प्रति दृष्टिकोण से भारतीय न्यायपालिका को एक नई दिशा मिल सकती है।

खन्ना परिवार का ऐतिहासिक योगदान
जस्टिस खन्ना एक प्रतिष्ठित कानूनी परिवार से हैं। उनके पिता, जस्टिस देव राज खन्ना, दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश थे, और उनके चाचा, जस्टिस HR खन्ना, 1976 में आपातकाल के दौरान ADM जबलपुर मामले में असहमति जताने के कारण चर्चित हुए थे। यह परिवार न्याय और कानून के प्रति अपने साहसिक दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध है।

जस्टिस खन्ना ने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल से वकील के रूप में पंजीकरण कराया था। उन्होंने विभिन्न अदालतों में प्रैक्टिस की, जिसमें तिस हजारी जिला अदालत, दिल्ली उच्च न्यायालय और ट्रिब्यूनल शामिल हैं। उन्होंने आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी काउंसल के रूप में लंबा कार्यकाल बिताया। 2004 में, उन्हें दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए स्थायी काउंसल (सिविल) नियुक्त किया गया।

आगे का रास्ता
जस्टिस संजीव खन्ना के मुख्य न्यायाधीश बनने से न्यायपालिका में नई दिशा और नेतृत्व की उम्मीदें हैं। उनका कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने का अवसर हो सकता है, जिसमें न्यायिक सुधार से लेकर भारतीय न्याय प्रणाली की निष्पक्षता बनाए रखने तक के सवाल शामिल हैं। जैसे-जैसे उनका कार्यकाल शुरू होता है, सभी की नजरें इस बात पर होंगी कि वे न्यायपालिका को किस दिशा में ले जाते हैं।

निष्कर्ष
जस्टिस संजीव खन्ना का 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण भारत के न्यायिक परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। ऐतिहासिक फैसलों और लंबी कानूनी यात्रा के साथ, वह भारतीय न्यायपालिका पर गहरी छाप छोड़ने के लिए तैयार हैं। उनके कार्यकाल की शुरुआत से सभी की नजरें इस पर होंगी कि वे आने वाले महीनों में किस तरह भारतीय न्यायपालिका की दिशा तय करते हैं।

Leave a comment