पाकिस्तान-चीन दोस्ती में बढ़ती दरार: क्या रिश्तों में तनाव आ गया है?
हाल ही में पाकिस्तान में हुए एक हमले ने पाकिस्तान और चीन के रिश्तों में बढ़ते तनाव को उजागर किया है। पिछले महीने कराची हवाई अड्डे के पास हुए बम विस्फोट में दो चीनी इंजीनियरों की मौत और एक अन्य के घायल होने के बाद, यह सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान-चीन संबंध अब पहले जैसे नहीं रहे? इस हमले की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने ली, जो पाकिस्तान में चीन के हितों पर लगातार हमले कर रही है। इस हमले को लेकर चीन का गुस्सा स्पष्ट है, और अब बीजिंग पाकिस्तान से सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली की स्थापना की मांग कर रहा है।
पाकिस्तान और चीन के रिश्तों में तनाव के कारण
चीन-पाकिस्तान संबंधों में तनाव की शुरुआत 2016 से हो गई थी, जब से बलूचिस्तान में चीनी नागरिकों और परियोजनाओं पर हमले बढ़े हैं। इस साल की शुरुआत में कराची और खैबर पख्तूनख्वा में हुए हमलों ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। इन हमलों में चीनी नागरिकों की जान गई, जिससे चीन की चिंता और बढ़ गई है। चीनी सरकार पाकिस्तान से पूरी जांच की मांग कर रही है और पाकिस्तान में चीन के नागरिकों, परियोजनाओं और दूतावासों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने का दबाव बना रही है।
चीन का असंतोष और पाकिस्तान की स्थिति
चीन ने पाकिस्तान से अपनी सुरक्षा एजेंसियों और सेना को पाकिस्तान की जमीन पर भेजने की मांग की है ताकि आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त ऑपरेशनों को अंजाम दिया जा सके। हालांकि पाकिस्तान इसके खिलाफ है और सुरक्षा एजेंसियों के लिए सुरक्षा बैठकों में भाग लेने की पेशकश कर रहा है, लेकिन वह चीनी सेना को अपनी जमीन पर नहीं चाहती। पाकिस्तान की स्थिति यह है कि वह चीन से अपने खुफिया तंत्र को सुधारने के लिए सहायता चाहता है, लेकिन सीधे तौर पर चीनी सुरक्षा बलों की मौजूदगी नहीं चाहता।
बलूचिस्तान संघर्ष: एक बड़ा मुद्दा
इन तनावों के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण बलूचिस्तान का मुद्दा है। बलूचिस्तान, पाकिस्तान का एक समृद्ध लेकिन उपेक्षित प्रांत है, जिसमें प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं, जैसे गैस, खनिज, कोयला, और बहुत कुछ। इसके बावजूद, यहाँ के लोग पाकिस्तान के अन्य प्रांतों, विशेष रूप से पंजाब, से शोषण का आरोप लगाते हैं। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) इस शोषण और आत्मनिर्भरता की कमी के खिलाफ आवाज उठाती रही है। इस संघर्ष के कारण बलूचिस्तान में चीनी परियोजनाओं, जैसे कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), पर हमले हो रहे हैं।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और बढ़ती असहमति
CPEC, चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) का एक प्रमुख हिस्सा है, जो चीन को बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है। इस परियोजना ने बलूच समुदाय में असंतोष और असहमति को बढ़ावा दिया है, क्योंकि स्थानीय लोग इसे अपनी जमीन पर शोषण के रूप में देखते हैं। CPEC परियोजना के तहत हजारों बलूचों को उनकी जमीन से बेदखल किया गया और उन्हें रोजगार के अवसर नहीं मिले। इसके परिणामस्वरूप बलूच लिबरेशन आर्मी ने कई बार चीनी हितों पर हमले किए हैं, जिससे CPEC की प्रगति में रुकावट आई है।
पाकिस्तान-चीन रिश्तों में बढ़ता फासला
CPEC की धीमी गति और परियोजनाओं के रुकने के कारण चीन अब पाकिस्तान से नाराज है। 2021 में पाकिस्तान की संसद ने भी CPEC की धीमी प्रगति और चीन की असंतुष्टि पर चिंता व्यक्त की थी। चीनी राजदूत ने भी इस पर शिकायत की थी कि पाकिस्तान ने CPEC को “नष्ट” कर दिया है। इससे दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी और बढ़ी है, और पाकिस्तान को अब यह चिंता सताने लगी है कि CPEC और उसके तहत होने वाली परियोजनाओं को लेकर चीन का समर्थन लगातार कम हो सकता है।
निष्कर्ष: एक अस्थिर भविष्य?
पाकिस्तान और चीन के रिश्तों में तनाव अब एक गंभीर मोड़ पर पहुंच चुका है। पाकिस्तान न तो एक बड़े आतंकवाद-रोधी अभियान में भाग लेना चाहता है और न ही वह अपनी ज़मीन पर चीनी सेना को तैनात करना चाहता है। हालांकि, पाकिस्तान का $126 बिलियन का बाहरी कर्ज का एक बड़ा हिस्सा चीन के पास है, और पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से भी एक और ऋण की आवश्यकता है। ऐसे में, दोनों देशों के रिश्तों में सुधार के लिए एक समाधान ढूंढना मुश्किल होता जा रहा है।