पंजाब में सीजन के सबसे अधिक 1251 कृषि मामले, दिल्ली में धुंआ जारी

नई दिल्ली: पंजाब में इस वर्ष सीजन के सबसे अधिक 1251 कृषि मामलों की रिपोर्ट आई है, जो वातावरण में प्रदूषण बढ़ाने का मुख्य कारण बने हैं। इन कृषि मामलों के बावजूद, दिल्ली में वायु गुणवत्ता दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है, और शहर को गंभीर प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है।

पंजाब में रबी फसल की कटाई के बाद किसानों द्वारा पराली जलाने की समस्या एक बार फिर से सामने आई है। किसानों का कहना है कि उनके पास पराली को सही तरीके से नष्ट करने के लिए पर्याप्त संसाधन और तकनीकी सहायता नहीं है। हालांकि, राज्य सरकार द्वारा पराली जलाने की रोकथाम के लिए कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन खेतों में आग लगाने की घटनाएं अभी भी बढ़ रही हैं।

दिल्ली और पंजाब के बीच की भौगोलिक स्थिति के कारण, पंजाब से निकलने वाले धुएं और प्रदूषण के कण दिल्ली तक पहुंचते हैं, जिससे राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता और भी खराब हो जाती है। दिल्ली में स्मॉग और प्रदूषण से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, जिससे राजधानी में रहने वाले लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं।

कृषि मामलों का असर:

पंजाब में किसानों द्वारा पराली जलाने के कारण सीजन के सबसे अधिक 1251 मामले दर्ज किए गए हैं। इससे पहले यह संख्या 1000 के आसपास थी, लेकिन इस बार यह बढ़कर 1251 तक पहुंच गई है। हर साल यही समस्या पैदा होती है, और प्रदूषण के बढ़ने के साथ ही दिल्ली की वायु गुणवत्ता और भी बिगड़ रही है।

दिल्ली में प्रदूषण का असर:

दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में चली गई है। प्रदूषण से न केवल शहर की हवा खराब हो रही है, बल्कि स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण सांस लेने में कठिनाई, अस्थमा, और अन्य सांस से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति और भी खतरे की घंटी साबित हो रही है।

समाधान की ओर कदम:

पंजाब सरकार ने किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए विभिन्न योजनाओं की घोषणा की है, जिसमें मशीनरी प्रदान करना और आर्थिक सहायता शामिल है। इसके अलावा, दिल्ली सरकार भी इस मुद्दे को हल करने के लिए सख्त कदम उठा रही है, जैसे प्रदूषण पर काबू पाने के लिए निर्माण कार्यों पर रोक लगाना और वाहनों की संख्या को नियंत्रित करना।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या सिर्फ राज्य स्तर पर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर मिलकर हल करने की आवश्यकता है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस योजनाओं और तकनीकी समाधान की आवश्यकता है, जिससे आने वाले वर्षों में इस प्रकार के कृषि मामलों की संख्या में कमी लाई जा सके।

निष्कर्ष:

पंजाब में सीजन के सबसे अधिक कृषि मामलों के साथ-साथ दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण देश की पर्यावरणीय स्थिति को गंभीर खतरे में डाल रहा है। यह समय है जब राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान ढूंढने की आवश्यकता है। पराली जलाने की घटनाओं पर काबू पाना और दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करना, दोनों ही महत्वपूर्ण कदम हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।

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